तस्वीर – न कहानी न कविता

कुछ यादों की तस्वीरे नही होती तो कुछ तस्वीरों की यादें। कुछ लोगों की तस्वीरे नही होती तो कुछ तस्वीरों के लोग ।

सूर्य उपासना का महापर्व छठ

पिता जिनमे नीर सी निश्छलता और निर्मलता सम्मलित है। जो अपने प्रेम से नवजात को पोषित करता और अपने किरणों से उसे अलंकृत करता है।

प्रेम : सम्पूर्णता का सागर

 तुमने मुझे प्रेम करना सिखाया। वो प्रेम जो अहसास है अनेक भावनाओं का। जिसमे असँख्य फूलो की खुशबू समाहित है ।जो इन्द्रधनुष के सात रंग नही बल्कि हर पल नए रंग उजागर करती । वह प्रेम जिसका आधार सच हो और जिसमे वास्तविकता है । वह प्रेम जिसको दफनाया जा सकता, नकारा जा सकता पर कभी… Continue reading प्रेम : सम्पूर्णता का सागर

ख्वाब

मैं जहाँ से आया हूँ ,जरूरी नहीं मीठे पर कई ख्वाब साथ लाया हूँ ।मंजिलों को सजाये कई ख्वाब देखे हैंउन ख्वाबों के पीछे कई ख्वाब टूटे हैं ।मैं जहाँ से आया हूँ एक जहां छोड़ आया हूँ ।