तुम्हे साथ होना चाहिए था,
मेरे कष्ट में ,
मेरे उल्लास में
मेरी हार में ,
जीवन के बदलाव में ।
होना चाहिए था तुम्हे मेरे साथ ,
उस अंधेरी रात में ,
जब डरने लगा अपने साये से ,
सन्नाटे को तोड़ती अपनी साँसों से ,
आनंद की प्याली में ,
संघर्ष की थाली में ,
तुम्हे साथ होना चाहिए था ।
जब संसार मुझसे क्रुद्ध था ,
टूटे जब अरमान थे ,
तुम्हे सपनों का साथ छोड़ना था
तुम्हे मेरे साथ होना था ।
बीत रही थी सर्द रात ,
शबनमी सुबह का इन्तजार था,
शबनम और तुममें कुछ खास था ,
स्पर्श था या चुभन का अहसास था ।
मेरी जीत में ,
मेरी हार में ,
जीवन के बदलाव में ,
तुम्हे मेरे साथ होना था ।