एक पिंड को जनक कहा जाने लगा। वह पिता जो पृथ्वी पे जन्म का कारण बनता है। वह पिंड जो जीवन का आधार है जैसे पिता परिवार का।
वह सूर्य जिसमे ज्वालामुखी-सी धधकती आक्रोश भी है और श्वेत दुग्ध की निश्चलता भी। वो पिता के भांति हमारे दोषो को हर लेता। वह पिता जो हमारे स्वास्थ्य, संस्कार का कारण है।
वो पिता जिनमे नीर सी निश्छलता और निर्मलता सम्मलित है। जो अपने प्रेम से नवजात को पोषित करता और अपने किरणों से उसे अलंकृत करता है।
वह सूर्य जो वीर योद्धा के शौर्य और विद्वान के तेज का भी प्रतीक है। जो सफलता पाने के लिए उत्साहित भी करता।
सूर्य जब अस्त होकर पुनः प्रयास करने के साहस को इंगित करता।
सूर्य साक्षात ईश्वर है। वह सूर्य पूज्य है।
Chhath puja ki shubhkamnaye
LikeLike