
इंसान के जीने के लिए जरूरी होता हवा साँस लेने को, रोटी भुख से लड़ने को, कपड़े और घर बाहर से सुरक्षा के लिए।
इसे भी ज्यादा जरूरत होती है उम्मीद की। वो उम्मीद जो आपको सुरक्षा देता अंदर के विषमता से। उम्मीद जो आज भूखे रहते हुए भी कल के महलों के पकवानों को पाने की ईक्षा को तेज करता।
उम्मीद जो हमारे ख्वाबो को पंख देते।
वो ख्वाब जो संघर्ष के बाद आनंद की अनुभूति करते।
वो ख्वाब जिनके पीछे इंसान कितने दूसरे हर्ष की पल को दरकिनार करता। हर दिन न जाने कितने ख्वाब बनते है कितने टूटते। कितने टूटते टूटते बन जाते कुछ बनते बनते टूट जाते।
फिर भी इंसान ख्वाब को न देखना बंद करता न उन्हें सच साबित करना। हर ख्वाब के पीछे का कारण होता उसकी ईक्षा और उम्मीद।
आज का हर संघर्ष कल की सफलता का स्रोत है,
क्योकि हर शतक की शुरुआत शून्य है।
[…] उम्मीद पहली जरूरत […]
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