मन में अनेक भाव लिए ,
बीते कल की आह लिए ,
कल के कल की चाह लिए ।
सम्पूर्ण शून्य हूँ मैं ।
पुराणों का उपदेश लिए,
सृजन का भीषण विध्वंस लिए ,
मन में तूफान विकराल लिए,
भगवद् का सार हूँ मैं ।
अपनो का अहसास लिए,
मंजिल का गुमान लिए,
अमर्त्य विश्वास लिए,
चलता राही हूँ मैं ।