काली रातों को तोड़ती यह सुबह ,
रात के सपनों को सच करने की शुरुआत ।
वक़्त की कमी से रुके पथिक की सुबह ,
पथ की निराशा को आशा में बदलने की शुरुआत ।
ओस की बूंदो को मोतियों में बदलती सुबह ,
हजारो उड़ानों की शुरुआत ।
समय से हार कर आराम की सुबह ,
शांत मन को ऊर्जा देने की शुरुआत ।
ये सुबह है चरित्र के चमक की ,
ये शुरुआत है साहस की सामर्थ्य बनने की ।
यही सुबह और शुरुआत भी ।
Wah verma g ……..Lekin ye subah hogi kab Har raat subah ki shuruaat se hi hoti hai,Lekin wah subah aati hi nahi……….
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