आंगन का दिया

जब आसमान गो धूल से भर जाएगा

वक़्त की चाल से सूरज भी छिप जाएगा ।

दिन के चरम से शुरू जीवन की कहानी 

श्याम आकाश में मंद हो रही होगी ,

निवाले कि तलाश में पक्षियों की उड़ान 

अपने घोसलों की तरफ होगी ।

शोर की थकावट पे शांति का आराम होगा

आश्रय की तालाश में पथिक होगा ।

ठंड और काली रात दहलीज पे होगी 

जब वक़्त सांझ का होगा ।

आंगन का दिया जो सुबह बुझ गया था,

फिर जल जाएगा ।

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