मैं दर्द में
उनकी भी तकलीफ कम नही ।
कराह मैं रहा
समझने को बस वही।
खाँसता रहा रात भर
तपते बदन उनके भी।
हजारों मील चल के आया हूँ
थोडा बीमार मैं थोडा वो भी सही।
मैं प्रशासन से पीट रहा
वो भी शासन की मार खायें है ।
दूर से दुआएं दे पाया जब
दवाओं से संभाला मेरे परिवार को ।
मिल सकता अपनो से
परिवार से दूरी का कारण बन गया।
चला था गाँव सारा हिसाब छोड़ कर
फिर उनकी अहसानो का कर्जदार हो गया।
Very nice bro
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Nice one ��
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